20 June 2007

शुक्र-ग्रहण । Venus in the Lap of Moon

सोमवार की रात आसमान में एक अद्भुत खगोलीय नजारा देखने को मिला। पृथ्वी से दिखने वाले सबसे चमकदार ग्रह शुक्र को चंद्रमा से मिलन के लिए आतुर देखा गया। यह अद्भुत खगोलीय घटना पांच साल दो महीने और तीन दिन बाद घटी। अपनी-अपनी कक्षाओं में परिक्रमा करते हुए सोमवार 18th June 2007 की रात पृथ्वी, चंद्रमा और शुक्र एक सीध में आ गए। पृथ्वी और शुक्र के बीच चंद्रमा के आ जाने के कारण शुक्र पर ग्रहण लग गया।

खगोलशास्त्री इसे अंग्रेजी में आकल्टेशन आफ वीनस कहते हैं।

A CELESTIAL ENCOUNTER: The Moon came directly between Venus and the Earth on Monday. In the picture the planet is slowly approaching towards Moon, a phenomenon called Occultation of Venus

लखनऊ के इंदिरा गांधी नक्षत्रशाला के इंजीनियर (आपरेशन्स) अनिल यादव के मुताबिक इससे पूर्व यह घटना 14 अप्रैल 2002 को घटी थी। उनके मुताबिक लखनऊ में यह ग्रहण रात 9.32 (IST) बजे लगा। ग्रहण की अवधि लगभग 38 मिनट रही।

शाम को जब मुझे बर्लिन से मित्र ने ये सूचना दी तो मै भी अपना कैमरा ले के बाहर (Camerino, Italy Click on the link to see exact street location) निकल गया, जो भी दिखा (with 3x optical zoom Camera) वही उतारने की कोशिश की।

नीचे की दूसरी तस्वीर वाकयी देखने लायक है।

 To see more Photos of occultation Visit Flickr

आभार:  दैनिक जागरण

7 comments:

Udan Tashtari said...

वाकई, दूसरी तस्वीर गजब है.

Pramendra Pratap Singh said...

गजब राम चन्‍द्र जी

अच्‍छे चित्र

संजय बेंगाणी said...

इस नजारे का आनन्द तो हमने भी लिया. अद्भुत था. मगर केमेरा न होने से फिल्मा न सके. तस्वीर के लिए धन्यवाद.

हरिराम said...

इसे 'शुक्र-ग्रहण' नहीं, "चन्द्र-शुक्र युति" कहा जाता है। 'ग्रहण' शब्द सूर्य के प्रकाश के अवरुद्ध होने पर ही उपयोग होता है। यथा - सूर्य और पृथ्वी के बीच चन्द्रमा (या अन्य ग्रह आने पर भी) सूर्य-ग्रहण, और सूर्य चन्द्रमा के बीच पृथ्वी आने पर सूर्य का प्रकाश चन्द्रमा पर न पड़ पाने के कारण चन्द्र ग्रहण होता है। इसी प्रकार यदि सूर्य और शुक्र के बीच पृथ्वी(या अन्य ग्रह) आने पर यदि शुक्र ग्रह सूर्य के प्रकाश से प्रकाशित नहीं हो पाए तभी "शुक्र-ग्रहण" कहा जाना चाहिए। 18 जून, 2007 को शुक्र और चन्द्र दोनों की सूर्य के प्रकाश से प्रकाशित थे अतः न चन्द्र ग्रहणग्रस्त था न ही शुक्र। भले ही पृथ्वी पर हमें शुक्र कुछ समय के लिए न दिखाई दिया हो।

RC Mishra said...

समीर जी, प्रमेन्द्र और सञ्जय जी आपका धन्यवाद|
हरिराम जी चन्द्र-शुक्र युति के बारे मे ज्ञानवर्धन के लिये धन्यवाद। मै पहले से जानता था कि इसे तकनीकी रूप से ग्रहण नही कहा जा सकता।
व्याख्या देने के लिये धन्यवाद और आभार।

Anonymous said...

वाह मिश्रा जी, छा गए, आखिर आपने ले ही ली फोटू! ;)

एस्ट्रो फोटोग्राफ़ी के लिए यह लिंक अवश्य देखें, कुछ अच्छी टिप्स मिल जाएँगी। जैसे कि यदि आप टेलिस्कोप या दूरबीन को कैमरे के आगे लगा के तस्वीर लें तो और अच्छी आ सकती है, क्योंकि उसका ज़ूम और बढ़ जाएगा। :)

RC Mishra said...

लिन्क के लिये बहुत धन्यवाद, अमित!