सूर्योदय के साथ-साथ 28/04/2007 की सुबह हमने नापोली मे प्रवेश किया|
मेरो मन अनत कहाँ सुख पावै।
जैसे उड़ि जहाज का पंक्षी (ऊपर की तस्वीर मे), फिरि जहाज पर आवै।
- सूरदास
ऊपर एक भवन से परावर्तित होतीँ सूर्य की किरणेँ.
और नीचे 'बन्दरगाह' पर एक दूर दृष्टि.
इस यात्रा का विस्तृत विवरण शीघ्र ही मेरे हिन्दी ब्लाग पर उपलब्ध होगा.
5 comments:
फोटो सुंदर हैं. पंडित जी, यह जगह कहाँ पर और किस लिये प्रसिद्ध है इस पर विस्तार से प्रकाश डाला जाये आपके हिन्दी ब्लॉग पर.इंतजार करेंगे.
उडन तश्तरी जी की तरह हम भी पूछना चाहते है कि यह स्थान कहा है ।
फोटो मनोरम हैं ।
फोटो बहुत ही सुंदर है । यात्रा के विवरण का इंतज़ार रहेगा ।
बहुत सुन्दर फ़ोटो!
मिश्रा जी, हमारे इधर निकलते ही खूब फोटोगिरी शुरु कर दी और बहुत घूम रहे हो! तस्वीरें बहुत अच्छी हैं और उनके नीचे लिखे शीर्षक भी. मज़ा आ गया.
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